Thursday 26 January 2012

एक मुक्त आह्वान !!!

ब्रह्मज्ञान ह्रदय में ब्रह्मा के प्रकाश रूप का प्रत्यक्ष दर्शन करना है। 

हर युग में पूर्ण गुरुओं  ने जिग्यसुओइन को इसी ज्ञान में दीक्षित किया है। 

इस प्रक्रिया में वे शिष्य को दिव्या द्रष्टि खोलकर उसे अनतमुखी बना देते हैं। 

शिष्य अपने अन्तज्र्गत में ही आलोकिक प्रकाश का दर्शन और अनेक दिव्या अनुभूतियाँ प्राप्त करता है । 

वर्त्तमान में, दिव्या ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व् संचालक श्री आशुतोष महाराज जी भी समाज को इसी ब्रह्माज्ञान में दीक्षित कर रहे हैं। 

नितान्त निः शुल्क रूप से! आप भी यदि इस महँ ज्ञान को पाने के इच्छुक हैं, तो संस्थान के किसी भी नजदीकी आश्रम में संपर्क करें....